मकान की नींव और घर की जड़
एक मकान बन रहा था
एक वृक्ष था बिल्कुल पास
वृक्ष की एक डाल से रुकावट थी
डाल को काटे बिना
कोई उपाय न था
सो काट दी गयी डाल अंततः
लगभग नौ महीने बाद
प्रकृति की माया
कटी डाल पर वृक्ष का दुलार
शेष वृक्ष में नहीं,
कटी डाल पर दिखा
नव पल्लव से
आच्छादित दिखी कटी डाल
वृक्ष की जड़ है
मकान की है नींव
नींव चाहे जितनी गहरी हो
नींव जड़ नहीं होती
वृक्ष ने मुझे पास बुलाया
वृक्ष ने मुझे
अपनी करुणा से समझाया ➖
मकान की नींव होती है जड़ नहीं
जड़ घर की होती है
मकान बनता है घर बसता है
घड़ बसता है अपनी जड़ पर
मुझे बेहद खुशी है
वृक्ष ने मुझ से बात की।
शुक्रिया वृक्ष! शुक्रिया!!
आप की राय सदैव महत्त्वपूर्ण है और लेखक को बनाने में इसकी कारगर भूमिका है।
आप की राय सदैव महत्त्वपूर्ण है और लेखक को बनाने में इसकी कारगर भूमिका है।
पृष्ठ
शुक्रिया वृक्ष
चीख ➖ ऐतिहासिक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है!
चीख ➖
ऐतिहासिक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है!
———
मैं ने चीख सुनी करुण और क्रूर
मैं भीतर तक हिल गया
कुछ करना चाहिए!
फ्रीज से ठंढा पानी निकाल लाया
शुद्ध ठंढा सीलबंद पानी
पानी की तासीर
या कि शुद्ध ठंढा सीलबंद होने का
मैं ने सोचा कि क्या कर सकता हूँ!
यह दुनिया की पहली चीख नहीं है
यह चीख आखिरी भी नहीं है!
न मैं पहला आदमी हूँ, न आखिरी
जिसने सुनी हो चीख!
तो चीख फिर क्या है, मैं ने सोचा
यह जानते हुए भी कि
सोचना न हक है न मुनासिब
मैं ने सोचा आदतन कि
चीख ➖
ऐतिहासिक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है!
चीख पर बहुत अच्छी कविता
लिखी जा सकती है
ढेर सारी
बधाई और
तारीफ बटोरी जा सकती है!
शुद्ध ठंढा सीलबंद पानी
पानी की तासीर और चीख!
यह शीर्षक कैसा रहेगा!