tag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post125221355451994439..comments2023-10-30T15:20:13.292+05:30Comments on विचार और संवेदना का साझापन: चिढ़ का चौतालप्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan http://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-34671653041509258252013-01-25T10:15:11.543+05:302013-01-25T10:15:11.543+05:30आदरणीय शिव जी, टिप्पणी के लिए आभार। यह जानकर संतोष...आदरणीय शिव जी, टिप्पणी के लिए आभार। यह जानकर संतोष हुआ कि लेख आपको अच्छा लगा। आप मेरे लिखे को इतना मन लगाकर पढ़ते हैं यह मेरे लिए बहुत खुशी की स्थिति है। कृपया स्नेह बनाये रखें... शुक्रिया.. प्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan https://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-7592487686977463822013-01-24T20:09:16.352+05:302013-01-24T20:09:16.352+05:30प्रफ़ुल्ल जी ! आपका यह पुरा लेख मानव के चिढने और च...प्रफ़ुल्ल जी ! आपका यह पुरा लेख मानव के चिढने और चिढाने के स्वभाव पर स्वाभाविक और एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण व चिंतन है । यह लेख पढ कर बहुत अच्छा लगा । दर असल पुरे लेख के बीच के एक भाग पढ को पढ कर मै अपनी तुच्छ बुद्धि के अनुमान से दुसरी धारा मे बह गया जबकि वस्तुस्थिति दुसरी और ज्ञानवर्धक है । पुरी स्थिति बगैर जाने समझे गलतफ़हमी में टिपण्णी करने की भूल के लिय मुझे आपसे क्षमा मांगने मे कोइ लज्जा नही है । आशा है आप मेरी इस तुच्छ बुद्धि को अन्यथा नही लेंगे । सादर आभार ।Anavrithttps://www.blogger.com/profile/12922177615881087957noreply@blogger.com