tag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post7574189549754617912..comments2023-10-30T15:20:13.292+05:30Comments on विचार और संवेदना का साझापन: कबीर साहित्य पर विचारप्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan http://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-2700445799332803162013-02-06T10:37:26.858+05:302013-02-06T10:37:26.858+05:30बहुत अच्छी समझ के साथ यह आलेख आपने लिखा है प्रफुल...बहुत अच्छी समझ के साथ यह आलेख आपने लिखा है प्रफुल्ल जी। बधाई। ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-55748005179989563642012-10-01T10:12:44.925+05:302012-10-01T10:12:44.925+05:30धन्यवाद रमेश तैलंग जी। आपने इसं पढ़ने के लिए समय न...धन्यवाद रमेश तैलंग जी। आपने इसं पढ़ने के लिए समय निकाला और मेरा मनोबल बढ़ाया इसके लिए मैं आभारी हूँ.. मेरे काम को देखते रहने और अपने सुझाव देने की कृपा करें...प्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan https://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-14803376608807134732012-09-19T16:50:14.097+05:302012-09-19T16:50:14.097+05:30धन्यवाद ... डॉ. शबनम कि आपने इसे पढ़ने का समय निका...धन्यवाद ... डॉ. शबनम कि आपने इसे पढ़ने का समय निकाला... और मेरा हौसला भी बढ़ाया.. आपके सुझाव मेरे लिए सदैव महत्त्वपूर्ण हैं.. प्रफुल्ल कोलख्यान / Prafulla Kolkhyan https://www.blogger.com/profile/08488014284815685510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-20734149895990535432012-09-18T13:56:20.991+05:302012-09-18T13:56:20.991+05:30संत कबीर पर बहुत उत्तम शोध-कार्य. ज्ञानवर्धक आलेख ...संत कबीर पर बहुत उत्तम शोध-कार्य. ज्ञानवर्धक आलेख के लिए धन्यवाद. शुभकामनाएँ. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1783622827187886933.post-15656333008893614742012-09-18T11:40:19.870+05:302012-09-18T11:40:19.870+05:30बहुत ही सारगर्भित एवं दृष्टिसंपन्न लेख. काफी शोध ए...बहुत ही सारगर्भित एवं दृष्टिसंपन्न लेख. काफी शोध एवं मनन के बाद ऐसी अंतर्दृष्टि जन्म लेती है. कबीर पर बहुत कुछ लिखा गया है और लिखा जाएगा पर मानवीय संबंधों की जिस उदात्तता का स्पष्ट सन्देश उनकी निर्भीक वाणी में है वह कम लोगों को दृष्टि गोचर हो पता है. प्रफुल्ल्जी आपको हार्दिक साधुवाद. बहुत दिनों बाद एक अच्छा लेख पड़ने को मिला. सादर-रमेश तैलंग-09211688748 रमेश तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/05932541742039354339noreply@blogger.com