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आज अंधेरा बहुत है
आज अंधेरा बहुत है ▬▬▬▬▬▬ ♦♥
कहने को कुछ नहीं, कहना बहुत है। इतना कहा, इतना कहना बहुत है। सूरज के घर में आज अंधेरा बहुत है। वह खुश है, चारो ओर घेरा बहुत है। हाँ खामोशी है, मगर प्यार बहुत है। सामान भरा है, मगर उधार बहुत है। रोजगार नहीं, मगर औकात बहुत है। रास्ते पथरीले, मगर जज्वात बहुत है। शिकायत सही, पर मुस्कुराना बहुत है। इस गली से, तेरा आना-जाना बहुत है। कुछ पाया नहीं, पर हाँ खोना बहुत है। अभी तो कुछ हुआ नहीं, होना बहुत है। सूरज के घर में आज अंधेरा बहुत है। ♠♥♦
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