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अब दिल किधर से लायेंगे
अब दिल किधर से
लायेंगे ▬▬▬▬
सारी उम्र इसके, उसके जिसके, तिसके पीछे भागता रहा फूलों से, किसलय से नदियों से, नालों से कभी कोई बात
नहीं की और अब सब रूठे
हुए हैं क्रोध में हैं
पृथ्वी पृथ्वी का
क्रोध कैसे कम हो फूलों के, किसलय के नदियों के, नालों के मन को समझें
कैसे ये स्वजन हैं
मान जायेंगे जब दिल से
क्षमा के गीत गाये जायेंगे मुश्किल मगर यह
कि अब दिल किधर से लायेंगे!
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