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सौ में सौ का काँटा, लगा रहे नये महिपाल

सौ में सौ का काँटा, लगा रहे नये महिपाल

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जैसे भी हो, ओखली में सिर जब दिया डाल
हाँ, पड़ी नहीं बस दिखी है, मूसल की छाया
और इत्ते ही पर, अब ही से, हो गया बेहाल!
सोचो कि जैसे भी हो, उसने तो है फुसलाया
फुसल गया, आवाम तो, खिंच जायेगी खाल
हाँ दाना दिखा, नहीं दिखा था, पसरा जाल
कहा था सोच, मिले इससे ही, बड़ा सम्हाल
पर सब मिलकर, हमने, ऐसा किया कमाल
कौन बचाये प्यारे, यह नहीं कोई, ननिहाल
सौ में सौ का काँटा ,लगा रहे नये महिपाल
जैसे भी हो, ओखली में सिर जब दिया डाल
हाँ, पड़ी नहीं बस दिखी है, मूसल की छाया
और इत्ते ही पर, अब ही से, हो गया बेहाल!! 

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