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सुंदर वही कंगूरा है
सुंदर वही कंगूरा है
हर नदी प्यासी है, हर समंदर, अधूरा है।
बहाव सच, और सच योगी का तंबूरा है।।
जहाँ कबूतर बैठता, सुंदर वही कंगूरा है।
सब जाते लादने बूट, गाँव वह बबूरा है।।
हर नदी प्यासी है, हर समंदर, अधूरा है।
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