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उदासी खारे पानी की मरी मछली है

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan

उदासी को आँसू से धो डालो और
मुस्कान के नर्म तौलिये से चेहरे को पोछ लो...
हल्की-सी गर्म हवा का एहसास होगा
जो तुम्हारी अपनी, हाँ
बिल्कुल अपनी ही और अपनी-सी साँस होगी

उदासी खारे पानी की मरी मछली है
उदासी को आँसू की नदी से बाहर निकालो

मेरी बात मानो, एक बाँकी-सी मुस्कान हवा में उछालो
यह जो ठहरी-ठहरी-सी हवा है,
मचल उठेगी अपने खोई तरंगों को पाकर
डाल आयेगी फूल के कान में वह बात
जो खूशबू बनकर पूरी सृष्टि में व्याप जायेगी
हर कोई थोड़ा-थोड़ा बनाता है, थोड़ा-थोड़ा बदलता है
ऐसे ही बनती और बचती है दुनिया, शर्त्त यह कि
▬▬ उदासी को आँसू से धो डालो

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