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मेरी खुशी की मेरे गम से आशनाई है

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan

मेरी खुशी की मेरे गम से आशनाई है
आज अभी दोनों की मन से विदाई है

चेहरे पर न हँसी न पहली रुलाई है
चाँद तारों की, सब की तो धुलाई है

एक कली, अाज डाल पर मुरझाई है
हँसते मिलेंगे, बाकी इतनी बेहयाई है

देखकर चाँद समझे कि मुँह देखाई है
हम नहीं प्रथम, बहुतों ने आजमाई है

हाँ जी हाँ न विस्तरा है न चारपाई है
यह बात कवि त्रिलोचन की बताई है

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