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मगर ये बे-दाम करता हूँ

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan

थोड़ी-सी जो फुरसत है, तुम से कलाम करता हूँ
हाँ, हर बात पर दुआ करता हूँ सलाम करता हूँ

दिल में भरोसे का कोई पुख्ता इंतजाम करता हूँ
दिहाड़ी हूँ, बीमारी में ही थोड़ा आराम करता हूँ

वो जो मेरा अजीज है उसी को बदनाम करता हूँ
मदद करता नहीं, करता हूँ तो गुमनाम करता हूँ

आजाद खयाली को तेरी हँसी का गुलाम करता हूँ
बुरा न मानो अगर तो आज यहीं मुकाम करता हूँ

हाथ खाली है जाने क्या दिन भर गोदाम करता हूँ
मिहनती हूँ लगा रहता हूँ मगर ये बे-दाम करता हूँ
थोड़ी-सी जो फुरसत है, तुम से कलाम करता हूँ
हाँ, हर बात पर दुआ करता हूँ सलाम करता हूँ



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