पृष्ठ

मगर जीवन है फिर भी सुंदर

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan

छान में मरी हुई चूहिया की तरह
जब तारीख गन्हाने लगे तो
जीवन और मृत्यु की शाश्वत समस्याओं के
शाश्वत हल खोजने के बदले
जरूरी हो जाता है मृत्यु को विस्थापित करना

बहुत बुरा होता है किसी तारीख का इस तरह गन्हाना
बहुत कायराना होता है मरी हुई तारीख से आँख चुराना
उससे भी बुरा होता है मरी हुई तारीख की छाती पर
लँगड़े पैर को टिकाकर फोटू खिंचवाना
और हँस देना दुर्गंध से बचने के लिए
तीखी हँसी की धार से अपनी नाक छप्प से कटवा लेना

मरी हुई तारीख जब
अपनी सरहद पर जाकर गन्हाती है
तब थोड़ा आसान होता है
चूजों के बीच मुर्गियों का सभा लगाना
मुश्किल होता है बहुत कामगारों का
अपने बच्चों के बीच लौट आना

मरी हुई तारीख को विस्थापित करना संभव है
संभव है विषप्रभाव के नीलेपन पर गिरे ओसकण
और अपराजिता के नीलवदन पर जमे अश्रुकण में 
फर्क करते हुए सभ्यता की सरहद को क्षितिज तक फैलाना

चाहे जितनी गन्हाये तारीख
मगर जीवन है फिर भी सुंदर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें