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मालूम नहीं

दिल में उठा दर्द शब्द में समाया किस तरह मालूम नहीं
है रुहानी तमन्ना अदब गरमाया किस तरह मालूम नहीं

खैरात पर जिंदगी पूरी जम्हूरियत कब आया मालूम नहीं
बात जज्वात की रस्म निभाना आया न आया मालूम नहीं

दरख्वास्त के हर्फ ने क्या कहा कहलाया मालूम नहीं
एक लफ्ज मुहब्बत है किसने आजमाया मालूम नहीं

बस यूँ ही कहा करता हूँ कद्रदानों की समझ में आया न आया मालूम नहीं 
अल्फाज कुछ मायने कुछ इरादा कुछ समझ में आया न आया मालूम नहीं

यकीन का कारण ढूढ़ने की भी होती है सलाहियत मालूम नहीं
अगर यह गुनाह मुकम्मल है तो फिर इसकी सजा मालूम नहीं

भावनाओं और विचारों के संघर्ष में हम कई बार यह समझ ही नहीं पाते हैं कि जिसे हम जीत समझ रहे हैं वह दरअस्ल हमारी हार है और जिसे हार समझ रहे हैं उसी के आस-पास कहीं हमारी जीत है। कई बार जब हमें लगता है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा तभी हम, कुछ हद तक ही सही, समझ रहे होते हैं और जब लगता है कि पूरी तरह से समझ गया तब कई बार समझने की शुरुआत भी नहीं हुई होती है। इसे समझने में मुझे बहुत वक्त लग गया।

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