पृष्ठ

आप से है प्रार्थना, बस आप से है प्रार्थना

आप से है प्रार्थना, बस आप से है प्रार्थना

 

इसलिए तो हे महामहिम

इसीलिए हे महामहिम

 

पता नहीं किस चीज पर टिकी हुई है पृथ्वी

इस सवाल पर तरह-तरह की कहानी है

न पृथ्वी का मतलब मालूम है मुझे

न टिके होने के बारे में ठीक-ठीक कुछ पता है

मालूम इतना भर है कि कहानी है कई

 

कोई आँख नचाकर कहता है

कोई तर्जनी तानकर कहता है

कोई अंगूठा दिखाकर कहता है

कोई छाती फुलाकर कहता है

कोई भिंची हुई मुट्ठी उछाल कहता है

कोई कहकर कंधा झुका लेता है

कोई खुशामद में कहता है

कोई आमद की उम्मीद में कहता है

कोई एक बाँह उठा कर कहता है

कोई दोनों बाँह उठकर कहता है

कोई झंडा लहराकर कहता है

कोई डंडा हिलाकर कहता है

 

कहाँ तक कहूँ, मुख्तसर यह कि

कहने की जितनी वजहें

उतनी तरह से कहता है, कहानी

मेरी समझ में कुछ नहीं आता है

 

इसलिए तो हे महामहिम

इसीलिए हे महामहिम

 

है जो भी शक्ति-पीठ

उन्हें होना ही चाहिए न्याय-पीठ

मगर ऐसा होता नहीं है

 

इसलिए तो हे महामहिम

इसीलिए हे महामहिम

न्याय-पीठ तो है ही न्याय-पीठ

होनी चाहिए आपके पास भी कोई कहानी

काठुआए हुए काठघर की काठ-हथौड़ी के पास

 

कहानी कि किस चीज पर टिकी हुई है पृथ्वी

यह भी कि क्या है पृथ्वी और क्या है टिकना

इसलिए तो हे महामहिम

इसीलिए हे महामहिम

आप से है प्रार्थना, बस आप से है प्रार्थना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें