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असूयाग्रस्त हैं हम सब

मणिपुर! क्या कहूँ मणिपुर के हालात पर!!
बोलूँ —असूयाग्रस्त हैं हम सब!   
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स्तब्ध हूँ। क्या बोलूँ मध्य प्रदेश में हुई दर्दनाक घटना पर! क्या बोलूँ संसद में दी गई गालियों पर! क्या बोलूँ संसद में सुनाई गई कविता पर जीभ खींच लेनेवाले बयान पर! बोलूँ रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने क्या कहा था, फैज ने क्या कहा था, गालिब नजीर ने क्या कहा था! बोलूँ प्रेमचंद ने क्या कहा था! बोलूँ राहुल ने क्या कहा था! मुक्ति बोध ने क्या कहा था! नागार्जुन ने क्या कहा था! बोलूँ वीरेन डंगवाल, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी ने क्या कहा था! बोलूँ अनंतमूर्ति ने क्या कहा था! बोलूँ — धूमिल ने क्या कहा था! क्या कहा गया था बोलूँ मँजी हुई जनतंत्र में क्या कहा गया है! बोलूँ, क्या मतलब होता है मँजी हुई जनतंत्र का!  या बोलूँ गाँधी, नेहरु, सुभाष, पटेल, भगतसिंह, आजाद, लेनिन, चे, गैरीबाल्डी, सुकरात, टॉल्सटाय, बेकन, कांट, हेगेल, जॉन स्टुअर्ट मिल, बेंथम, ब्रेख्त और ऐसे ही बहुतेरे लोगों ने क्या कहा था! बोलूँ दुनिया भर के धर्म ग्रंथों नीतियों में क्या कहा गया है! मतदान के बाद न मिटनेवाली स्याही लगी अंगुली दिखाते हुए सेल्फी खिंचवानेवाले हमवतन को बोलूँ!  बोलूँ — मेरे मित्रों ने कब-कब क्या कहा था! किस को बोलूँ! किस-किस को बोलूँ! बोलूँ तो क्या बोलूँ! बोलूँ संसद की बात पर बाहर कचहरी में कोई सुनवाई नहीं होती और बाहर की बात पर संसद कोई चर्चा नहीं करती! बोलूँ मन की बात बोलूँ मतिहारा, मतिमारा मतिहारों, मतिमारों का क्या बोले! क्या-क्या बोले! कंठरोध हो गया है। रुद्ध कंठ बोले भी तो कौन सुनना चाहता है? सुनकर कितनी देर, कितनी देर याद रखने की क्षमता रखता है! बोलूँ असूयाग्रस्त हैं हम सब!   

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