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मृत्यु की आशंका भरी रात



मृत्यु की आशंका भरी रात

वह मृत्यु की आशंका भरी रात थी
जिसमें बार-बार
रघुवीर सहाय के रामदास की उदासी
मन पर छा रही थी धीरे-धीरे

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी
राजनयिकों ने आश्वासन दिया
सेना ने भरोसा
समाचार ने सावधान किया

जिसने भी
अपने को आशंका की जद में पाया
खमोश हो गया
लेकिन बजता रहा समाचार-पूर्व संगीत
वस्तु-विज्ञापन में कोई ब्रेक नहीं आया
ब्रेक राहत समाचार में आया

मैं किसी तरह आज की रात
बचना चाहता था
ताकि लिख सकूँ वह कविता
जो अब तक लिख नहीं पाया था
कभी लोभ में पड़कर, कभी मोह में पड़कर

मृत्यु की आशंका भरी रात में
एहसास हुआ बार-बार कि
प्रकाश अंधेरे को कभी मारता नहीं
बस परे धकेल देता है
और लड़ना हो अंधकार से तो
हर हाल में बचाये रखना होता है प्रकाश
मृत्यु की आशंका भरी रात
लोग अपनी जान बचाने के लिए
विशेष प्रार्थना कर रहे थे पूरे परिवार के साथ

कुछ लोगों के लिए यह भी पुरसुकून था कि
अगर वे अंतत: मारे ही जाते हैं तो
कम-से-कम अपने मुहल्ले के
किसी परिचित के हाथों मारे जाने से बच जाएंगे

अप्राकृतिक ही सही, प्राकृतिक मौत मरेंगे
सुकून कि उन्हें
मानबहादुर,पाश,फादर स्टेंस और उनके बच्चों
चंद्रशेखर,सफदर हाशमी,बेलछी के हरिजनों उमेश डोभाल,
इरफान या आनंद पांडेय आदि की तरह नहीं मारा जा सका
भोपाल गैस त्रासदी,गाइसाल जैसी स्थिति में ही मरे
और इसके लिए वे धन्यवाद की मुद्रा में थे कि
धन्यवाद ही तो बचेगा
संसद में परित होनेवाले शोक प्रस्ताव के बाद
मृतकों की कृतज्ञता का सूचक

धन्यवाद ही तो करेगा
समाचार पूर्व-संगीत के साथ
मृत्यु के नृत्य को दृश्य की तरह देखने में मग्न
विज्ञापनों के खलल से व्यथित
संवेदनशील लोगों के सम्मान का अंतिम प्रयास

मृत्यु की आशंका भरी रात अँधेरे में भारी कदमों से
टहलता रहा रघुवीर सहाय का रामदास

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