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फिर भी अफवाह है



फिर भी अफवाह है


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सचमुच कितना प्यारा था हमारा अतीत
प्रकृति के किसी विकासवादी चरित्र ने
हम से हमारी दुम छीन ली

अभिशप्त आदमी कितना असहाय है आज
दुम के बिना
अब तो वह सड़े मुहावरे की कृपा से ही
दुम हिला पाता है
भाषा के ही मार्फत
दुम दबा पाता है

इस समय जबकि दोनों मुहावरों के बीच
रणनीतिक समझदारी और सहयोग
जरूरी है दाल रोटी के लिए, यानी
दुम हिला-हिलाकर दबाने
दुम दबा-दबाकर हिलाने की जरूरत है
आदमी के पास दुम ही नहीं है!

व्याकरण का मास्टर
बच्चों को मुहावरे का अर्थ
बताता है बहुत ही विचित्र ढंग से

अब अगर दुम होती तो ड्रील मास्टर
दुम हिलाने और दबाने
हिला-हिलाकर दबाने
दबा-दबाकर हिलाने के
कर्मयोग का अभ्यास कराता
राष्ट्रीय दुम चैंपियन, राष्ट्रीय दुम-श्री के
खिताबों का प्रावधान होता
अफसोस, आदमी के पास दुम ही नहीं है!

फिर भी अफवाह है कि
कुछ सफल लोगों के पास दुम है!

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