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क्या गजब की बात है

क्या गजब की बात है

29 जून 2014 पर 08:48 पूर्वाह्न


क्या गजब की बात है, कि जब नजदीकियाँ महसूस की, दूरियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, जब मुस्कुराने का वक्त आया, सिसकियाँ बढ़ गई।

क्या गजब की बात है इधर अंधेरा छा गया जब उधर रोशनियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, कि इधर, हुए सुर्खरू तुम और नादानियाँ बढ़ गई।

क्या गजब की बात है, उधर भीड़ उमड़ती गई, इधर वीरानियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, कि कहने का शउर आया तो लफ्फाजियाँ बढ़ गई।

क्या गजब की बात है, कि जब नजदीकियाँ महसूस की, दूरियाँ बढ़ गई।
क्या गजब की बात है, जब मुस्कुराने का वक्त आया, सिसकियाँ बढ़ गई।

Rajesh Kumar Yadav, Ganesh Swami, Neer Gulati और 15 अन्य को यह पसंद है.

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Noor Mohammad Noor Ghzab
29 जून पर 09:25 पूर्वाह्न · पसंद


Pinkee Kanti Kai baat.
29 जून पर 09:52 पूर्वाह्न · पसंद


K C Babbar Babbar मरे है आदमी या मर गये जज्बात लोगो के ,की अब तो लोग मयतमें फक्त बतिआने जाते है
29 जून पर 12:46 अपराह्न · पसंद


Rajneesh Madhok

29 जून पर 06:41 अपराह्न · पसंद


BM Prasad क्या गज़ब की बात है !
30 जून पर 05:58 पूर्वाह्न · पसंद

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