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इरादा ठीक न सही पर लह जाता है

प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan


वह इतनी जोर से आवाज लगाता है
अंदर का पवित्र मकाम ढह जाता है

है दुश्मन सही मगर जादू जगाता है
वह काला लिबास कुछ कह जाता है

राह में बेवजह सब को आजमाता है
न हवा, न पानी, जो है बह जाता है

हुनरमंद डूबकर हर राग को गाता है
राग कत्ल को राग चैन कह जाता है

हर फरीक से खुद को ही पुजवाता है
इरादा ठीक न सही पर लह जाता है



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Ajay Rathore, Noor Mohammad Noor, Gulab Sharan और 4 अन्य को यह पसंद है.

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