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फिलहाल शुक्रिया

फिलहाल शुक्रिया
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मैं जिंदगी को फूलों से सजाने के ख्वाब के हिफाजत में मशगूल
जिंदगी भर काँटे चुनता रहा,
मुगालता यह कि मैं कामयाबी की ओर बढ़ रहा हूँ
यह जानते हुए कि फूल चुनना
हिंदी का एक खतरनाक मुहावरा है
मैं जिंदगी भर काँटे चुनता रहा

और अब अपनी जिंदगी के उस मुकाम पर हूँ जहाँ
मुझे मुस्कान के बीच से झुर्रियों को एक-एक कर चुनना है
यह जानते हुए कि मुस्कान के बीच से झुर्रियों को चुनना
फूल चुनने से भी खतरनाक मुहावरा हो सकता है
मैं भीतर से सिहर जाता हूँ
सिहर जाता हूँ कि हमारे समय में
बना हुआ मुहावरा जितना भी खतरनाक क्यों न हो
बनते हुए मुहावरे के साथ जीना बहुत जोखिम भरा है

तय कर पाना मुश्किल है कि
फूल चुनना अधिक खतरनाक मुहावरा है या फिर
मुहावरों में काँटा या झुर्रियों को चुनने की कोशिश
मैं जानता हूँ कि कुछ लोगों को लिए यह बहुत आसान है
फिर भी बात यह ठहर जाती है कि
आसानी से हो जानेवाले काम में शुमार की गई बातें
हमारे समय के सब से कठिन प्रसंग हैं ▬▬
जैसे कि तुम्हारी मुस्कान जोखिम से भरा एक अंदाज,
हाँ, फिलहाल शुक्रिया

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