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हिंदी अध्ययन-अध्यापन और तकनीक

साहित्य कला मंच हिंदी अध्ययन-अध्यापन और तकनीक
व्यक्तिगत तौर पर अध्ययन-अध्यापन से प्रत्यक्षतः जुड़ा नहीं हूँ
तकनीक की भी जानकारी नहीं है
हिंदी अध्ययन-अध्यापन का आशय हिंदी साहित्य के अध्ययन अध्ययन-अध्यापन से है
हिंदी साहित्य के अध्ययन-अध्यापन का विशिष्ट पक्ष तो है लेकिन असल आशय साहित्य के अध्ययन-अध्यापन से है

अध्ययन-अध्यापन का मकसद
1. मनुष्य में ज्ञान को अंतरित (आयातित/ निर्यातित) करने की क्षमता होती है
2. ज्ञान को अंतरित करना अध्ययन-अध्यापन का मकसद होता है
3. अनुभव और अनुभूति या संवेदना का सीधा अंतरण संभव नहीं है
4. अनुभव और अनुभूति या संवेदना के अंतरण की दो पद्धति होती है
क. रसोद्रेक या रसानुभूति
ख. अनुभव और अनुभूति या संवेदना का ज्ञान में परावर्त्नन और फिर ज्ञान का अंतरण
रसोद्रेक या रसानुभूति सभ्यता और संस्कृति का अंतर साहित्य संस्कृति और सभ्यता के पुल के रूप में अध्येय है

सामान्य पाठक का जुड़ाव पाठ के आनंद के कारण होता है
रसोद्रेक या रसानुभूति पाठ के आनंद के प्राप्त होने की प्रविधि है
रसोद्रेक या रसानुभूति से आनंद की उपलब्धि मनुष्य की नैसर्गिक प्रवृत्ति है
नैसर्गिक प्रवृत्तियाँ बिना किसी बाहरी प्रशिक्षण के स्वतः सक्रिय रहती हैं
नैसर्गिक प्रवृत्तियों की संतुष्टि से सीमित रहकर स्वतः बोध का उदात्त होते जाना सामान्य पाठक का सहज प्राप्य है
1. साहित्य का अध्ययन-अध्यापन
रसानुभूति या रसोद्रेक की नैसर्गिक प्रक्रिया के पूरी होने के बाद :
पहला मकसद है अनुभव और अनुभूति या संवेदना का ज्ञान में परावर्त्नन और फिर ज्ञान का अंतरण
उदाहरण : प्रेमचंद के उपन्यास गोदान को पढ़ने के बाद
उस समाज की तत्कालीन आर्थिक व्यवहार, जातिगत प्रथा, लैंगिक आचरण सहित समस्त संरचना का अध्ययन
इस समय समाज में प्रभावी आर्थिक व्यवहार, जातिगत प्रथा, लैंगिक आचरण सहित समस्त संरचना का अध्ययन

दूसरा मकसद है किसी भी स्रोत से प्राप्त ज्ञान का फिर से उन्नत और बौद्धक संवेदना में अंतरण

संवेदनात्मक ज्ञान और ज्ञानात्मक संवेदना : मुक्तिबोध कर्म का भोग और भोग का कर्म : गीता
टेक्नोलॉजी और टेकनिक का अंतर
टेक्नोलॉजी मुख्यतः हासिल औजारों को एक दूसरे को जोड़कर बांछित परिणाम पाने के लिए सहज व्यवहार के योग्य बनाती है, इसलिए प्रयुक्ति कहलाती है
टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की बुद्धि टेकनिक है जिसे हम तकनीक कहते हैं और पारंपरिक शब्द में तरकीब कह सकते हैं
साहित्य के अध्ययन-अध्यापन में टेक्नोलॉजी का अधिक-से-अधिक इस्तेमाल किये जाने की जरूरत है
नये तरकीब या तकनीक का अपनाव भी जरूरी है
ज्ञान की अन्य शाखाओं से जोड़ने की तरकीब
इतिहास समाजशास्त्र भूगोल आर्थिकी दर्शन धर्म समाजिकी समुदायिकी व्यक्तिगत और समाज मनोविज्ञान
सभ्यता और संस्कृति का अंतर साहित्य संस्कृति और सभ्यता के पुल के रूप में अध्येय है

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