आप की राय सदैव महत्त्वपूर्ण है और लेखक को बनाने में इसकी कारगर भूमिका है।
कुछ हुस्न का गुनाह कुछ इश्क की शरारत, दिल करे भी तो क्या दिल तो है दिल आखिर, ऐतबार न करे! और ये करे भी तो क्या
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