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तो वह ख्वाब क्या था



क्या कहती हो मेरी जान मैंने तुम से बता नहीं की बरसो
तो वह ख्वाब क्या था जो बड़बड़ता रहा है मुझ में बरसो

तुम हुश्न-ए-आजादी थी ये मुल्क तुम्हें सजाता रहा बरसो
बात दीगर है कि भूत को पनाह देनेवाला निकला सरसो


सच जो चीज हमारे पास है उसके लिए हम तरसे बरसो
इंसानियत ये जम्हूरियत बड़ी बात बस इसके लिए तरसो

बस ये सियासत है कि आवाम ने कैसे सम्हाला इसे बरसो
क्या कहती हो मेरी जान मैंने तुम से बता नहीं की बरसो

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