विचार और संवेदना का साझापन
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सिर और मुकुट
धीरे-धीरे सिर छोटा होता जाता है।
धीरे-धीरे मुकुट बड़ा होता जाता है।
फिर मुकुट चेहरे पर उतर आता है।
मुकुट मुखौटा बनकर रह जाता है।
मुकुट मुखौटा कवच न बन पाता है।
वक्त न तो मुकुट देखता है न मुखौटा
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