विचार और संवेदना का साझापन
आप की राय सदैव महत्त्वपूर्ण है और लेखक को बनाने में इसकी कारगर भूमिका है।
सजा कबूल है
सजा कबूल है
**********
जाने क्यों लगता है कि
आप के मुस्कुराने से
दिन सँवर जाता है
मेरे मन का आकाश
सिमटकर मेरी जमीन को
छू लेता है
एक बार मुस्कुराओ न
यह गुजारिश
अगर गुनाह है तो
गुनाह सही
सजा कबूल है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें