विचार और संवेदना का साझापन
आप की राय सदैव महत्त्वपूर्ण है और लेखक को बनाने में इसकी कारगर भूमिका है।
पीली धूप
पीली धूप
▬▬▬▬
आज फिर धरती पर फैल गई पीली धूप
पाखी सब उड़ गये, घोंसले सब खाली हैं
बहेलियों के स्वागत में मचल रही
धरती की छाती पर आज फिर पीली धूप
माटी फिर निर्गंध बनी
हवा फिर महक रही
दूब के माथे पर नाच रही पीली धूप
आज फिर धरती पर फैल गई पीली धूप
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें