कितना सुकून मिलता
है
जब मरते हुए इंसान
की भूमिका में
रंगमंच पर आता हूँ
मैं
खनाक से रुक जाती
है, संगीत की खनक
और फैल जाता है अँधेरा
उजाला होने के
पहले
नैपथ्य में चला
जाता हूँ मैं
दर्शक दीर्घा से
आती है आवाज ▬▬
▬▬ क्या खूब मरता
है, मरने में है लाजवाब
वाह! एक बार और मर
कर दिखाओ!!
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