हँसते-हँसते पूछे साहिब रोते-रोते करे बयान
आपको वोट दिया, जीना है फिर भी हलकान
मालिक हो आप सदिखन ही ऊँची भरें उड़ान
अब किस को शाम कहें, किस को कहें बिहान
एक हँसी की खातिर, सौ-सौ जीवन, है कुर्बान
फिर तो बात वही रही कि समय होत बलवान
चुप रह तू चुप्पा के जोबन हरदम होय जियान
चुप्पा के दुख का न करें इलाज हकीम लुकमान
तमाशा तो खूब हुआ दुख का कोई नहीं निदान
हँसते-हँसते पूछे साहिब रोते-रोते करे बयान
आपको वोट दिया, जीना है फिर भी हलकान
मालिक हो आप सदिखन ही ऊँची भरें उड़ान
अब किस को शाम कहें, किस को कहें बिहान
एक हँसी की खातिर, सौ-सौ जीवन, है कुर्बान
फिर तो बात वही रही कि समय होत बलवान
चुप रह तू चुप्पा के जोबन हरदम होय जियान
चुप्पा के दुख का न करें इलाज हकीम लुकमान
तमाशा तो खूब हुआ दुख का कोई नहीं निदान
हँसते-हँसते पूछे साहिब रोते-रोते करे बयान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें