विज्ञान और धर्म
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करोना से बचाव के लिए अपनाई गई एहतियाती सामाजिक दूरी के हवाले से कुछ लोग विज्ञान और धर्म की उपयोगिता से जोड़ कर टिप्पणी करते हुए कह रहे हैं कि संकट की इस घड़ी में विज्ञान ड्यूटी पर है और धर्म छुट्टी पर! उनका इशारा अस्पतालों को खुले रखने और उपासना स्थलों को बंद रखने की स्थिति की तरफ है। इस इशारे में थोड़ा तंज भी है। यह तुलना समीचीन नहीं है।
व्यक्तिगत आस्था जो भी हो, धर्म के पुरोहितवादी रुझान को बाद देकर देखा जाये तो धर्म मनुष्य की भिन्न जरूरतों को पूरा करता है और विज्ञान भिन्न जरूरतों को पूरा करता है। विज्ञान से भी जीवन में कम विसंगतियां नहीं पैदा हुई है। जानता हूँ कि यह बहुत बड़ा, यह बहुआयामी और संवेदनशील विषय है। कई तरह से बात की जा सकती है। इस प्रसंग पर अभी अधिक कुछ नहीं कहते हुए भी इतना कहना जरूरी है कि इस समय इस मुद्दे पर समग्र रूप से तंज करना न सिर्फ़ अनावश्यक है, बल्कि हानिकारक भी है।