सफलता की सूचियों में, कोई निशान न था
अगरचे नाम था, मगर वह हिंदोस्तान न था
गलतफहमियों की शागिर्दी से परेशान न था
मुहब्बत थी, किरदार-ए-मुहब्बत हैरान न था
कुछ सवाल थे खुदमुख्तारी का ऐलान न था
फूल मुस्कुराये जब चमन में बागवान न था
गले मिले बधाइयाँ दी कोई मगर इंसान न था
थूकते चले गए मुँह था कोई पीकदान न था
रोजमर्रा था बस बचा कोई भी अरमान न था
झांकते भी तो किधर जब कोई गरेबान न था
मूस्तैद हुजूरी में था ऐसा कोई फरमान न था
कहूं कि रवायत में शामिल कोलख्यान न था