अगरचे हिंदोस्तान न था

सफलता की सूचियों में, कोई निशान न था
अगरचे नाम था, मगर वह हिंदोस्तान न था

गलतफहमियों की शागिर्दी से परेशान न था
मुहब्बत थी, किरदार-ए-मुहब्बत हैरान न था

कुछ सवाल थे खुदमुख्तारी का ऐलान न था
फूल मुस्कुराये जब चमन में बागवान न था

गले मिले बधाइयाँ दी कोई मगर इंसान न था
थूकते चले गए मुँह था कोई पीकदान न था

रोजमर्रा था बस बचा कोई भी अरमान न था
झांकते भी तो किधर जब कोई गरेबान न था

मूस्तैद हुजूरी में था ऐसा कोई फरमान न था
कहूं कि रवायत में शामिल कोलख्यान न था

5 टिप्‍पणियां:

kuldeep thakur ने कहा…


जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
07/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ |

ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 06/04/2019 की बुलेटिन, " नव संवत्सर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा व चैत्र नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत लाजवाब...