मदद लो, मदद दो

मदद लो, मदद दो


अब मैं अपनी जिंदगी में क्षमता के आखिरी पड़ाव के करीब हूँ। जिंदगी कैसे जीया, क्या जीया, किन रास्तों से गुजरा, लेखक बनने की हसरत में किन मुकामों पर पहुँचने के लिए ठाम-कुठाम की यात्रा की, यह एक लंबी कहानी है। फिलहाल उस में उलझने और उलझाने का यह अवसर नहीं है, न दिलचस्पी है। मेरी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण शब्द सदा सक्रिय रहा है और वह शब्द है मदद। मदद लो, मदद दो। बिना मदद के जिंदगी नहीं चलती है किसी की भी। कोई-न-कोई हमारी मदद के लिए हाथ बढ़ता है और किसी-न-किसी की मदद के लिए हम हाथ बढ़ाते हैं। महत्वपूर्ण यह कि किसी से मदद लो तो उस पर एक दम से लद न जाओ, बोझ न बन जाओ, इसी तरह किसी की मदद करो तो उसे अपने पर बोझ न बनाओ, न बनने दो, न उसे अपने ऊपर लादो और न लदने दो। राह दिखाया, तो आगे चल एक प्रसिद्ध मुहावरा है। लद जाना या लाद लेना सहज मानवीय प्रवृत्ति है। हर सहज मानवीय प्रवृत्ति की तरह इस प्रवृत्ति में सायास संतुलन की जरूरत होती है, इस संतुलन को बनाये रखने के लिए हमेशा सावधान और अंतःसक्रिय रहने की जरूरत होती है। मैं कितना संतुलन साध पाया कहना मुश्किल है, सच कहूँ तो साध नहीं पाया, बस लड़खड़ाते पार किया।
पश्चिम बंगाल में, खास कर कोलकाता में समारोहपूर्वक रक्तदान का सामाजिक प्रचलन रहा है। कोलकाता में रहते हुए नियमित रक्तदान को मौका मिलता था। एक समय आया जब रक्तचाप और थॉयराइड की समस्या उभर कर स्वास्थ्य का साथी बन गई। डाक्टरों ने रक्तदान के अयोग्य घोषित कर दिया। मन बहुत दुखी हुआ। सीख मिली, सिर्फ चाहकर ही किसी की मदद नहीं की जा सकती है। मदद करने के लिए चाहत होने के साथ सक्षम होना भी जरूरी है।
नौकरी से आमदनी का स्रोत कुछ-न-कुछ तो आर्थिक क्षमता प्रदान करता ही था। अब रिटायर होने में एक महीना का समय भी भी नहीं है। हाँ, आखिरी वेतन मिलना बचा है। रिटायरमेंट के बाद जो मिलता है उसके बिलाते बहुत देर नहीं लगती है। ऊपर से बढ़ती हुई महगाई, घटती हुई क्रय-क्षमता, कठोर होती आर्थिक नीतियाँ, संवेदना-शून्यता का बढ़ता दायरा अपनी जगह। डर है कि जिंदगी कहीं बोझ न बन जाये! भरोसा है, ऐसा नहीं होगा। भरोसा वस्तुनिष्ठ परिप्रेक्ष्य में एक आत्म-निष्ठ बोध या एहसास होता है। बस इस एहसास से डर लगता है।
किसी के सीखने-समझने के लिए इस में कुछ नहीं है, बस समझा जाये कि कह रहा हूँ। शेष फिर कभी। और लक्ष्य! जी हाँ, लक्ष्य तो है! बस लक्ष्य के सदस्यों के लिेए यह शायद ही किसी काम का हो।