कोई
नहीं, हाँ कोई नहीं, कुछ
नहीं
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सोचा न था, सच कहता हूँ सोचा न था
कोई नहीं, हाँ कोई नहीं, कुछ नहीं
न न्याय, न अन्याय, न नीति, न अनीति, न पाप, न
पुण्य
कोई तो साथ नहीं
निपट अकेला
न विचार, न संचार, न प्रचार, न शोभा, न श्रृँगार
यह कैसा जीवन, न आचार, न व्यवहार
किसी से कुछ कहना बाकी नहीं
किसी से कुछ सुनने की कोई उम्मीद नहीं
उम्मीद का कोई अर्थ नहीं
कोई फर्ज नहीं, कोई गर्ज नहीं, कोई हर्ज नहीं
कोई अर्ज नहीं, कोई कर्ज नहीं
लाइक नहीं, डिसलाइक नहीं, कुछ भी दर्ज नहीं
दर्द नहीं, हमदर्द नहीं
क्या कहना है, कुछ भी नहीं, कुछ भी तो नहीं