सचमुच एक दुर्लभ दृश्य है स्तनपान कराती हुई माता को देखना
जब मैंने आर्टगैलरी में एक ऐसी ही पेंटिंग पर मुग्ध
होते विदेशी को देखा तो महसूस किया
ऐसे दुर्लभ दृश्य आर्टगैलरी में ही दीखते हैं अब
मैंने याद करना चाहा पिछली बार
स्तनपान कराती हुई किसी माँ को मैंने कब देखा था--
मैं शर्मिंदा हूँ महाशय कि मुझे कुछ भी याद नहीं
मैं लौटकर फिर पेंटिंग के पास गया और गौर से देखा उस माँ का चेहरा
काली, मटमैली, फटी हुई साड़ी, पसीने से सराबोर
दमकती हुई आभा के बीच
माँ का खिला हुआ चेहरा
अद्भुत है कि
-- सच को कितने करीब से और रंगे हाथ पकड़ा है पेंटर ने
-- सजी-धजी माँ की गोद से कैसे बचाया इस नौनिहाल को पेंटर ने
उस प्रणम्य पेंटर के बारे में जानना चाहा तो
सिर्फ इतना ही पता चल पाया कि
इस पेंटर की जननी माँ भागलपुर के दंगे में मारी गयी थी
उसके साथ बलात्कार हुआ था
घर से दस लग्गे की दूरी पर उसकी लाश पड़ी मिली थी
पास में ही यह पेंटर नवजात पड़ा मिला था
बस इतना ही और वह भी किंवदंती
क्योंकि सरकारी रिकार्ड से इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पायी
अतिरिक्त रूप से यह बताया गया कि बाबूजी यह फिलहाल बिकाऊ नहीं है
वह रहमदिल अमेरिकी सैलानी इसे किसी भी कीमत पर खरीदना चाहता है
उसके पास सरकारी कागज है, उसकी खरीद से होनेवाली आय कर-मुक्त है
फिर भी यह दृश्य कम-से-कम इस समय बिकाऊ नहीं है
इससे अधिक कुछ जानना हो तो
ईश्वर जिसके नाम पर दंगे हुए थे वह या
खुद यह पेंटिंग ही आपकी कुछ मदद करे तो करे
जब मैंने आर्टगैलरी में एक ऐसी ही पेंटिंग पर मुग्ध
होते विदेशी को देखा तो महसूस किया
ऐसे दुर्लभ दृश्य आर्टगैलरी में ही दीखते हैं अब
मैंने याद करना चाहा पिछली बार
स्तनपान कराती हुई किसी माँ को मैंने कब देखा था--
मैं शर्मिंदा हूँ महाशय कि मुझे कुछ भी याद नहीं
मैं लौटकर फिर पेंटिंग के पास गया और गौर से देखा उस माँ का चेहरा
काली, मटमैली, फटी हुई साड़ी, पसीने से सराबोर
दमकती हुई आभा के बीच
माँ का खिला हुआ चेहरा
अद्भुत है कि
-- सच को कितने करीब से और रंगे हाथ पकड़ा है पेंटर ने
-- सजी-धजी माँ की गोद से कैसे बचाया इस नौनिहाल को पेंटर ने
उस प्रणम्य पेंटर के बारे में जानना चाहा तो
सिर्फ इतना ही पता चल पाया कि
इस पेंटर की जननी माँ भागलपुर के दंगे में मारी गयी थी
उसके साथ बलात्कार हुआ था
घर से दस लग्गे की दूरी पर उसकी लाश पड़ी मिली थी
पास में ही यह पेंटर नवजात पड़ा मिला था
बस इतना ही और वह भी किंवदंती
क्योंकि सरकारी रिकार्ड से इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पायी
अतिरिक्त रूप से यह बताया गया कि बाबूजी यह फिलहाल बिकाऊ नहीं है
वह रहमदिल अमेरिकी सैलानी इसे किसी भी कीमत पर खरीदना चाहता है
उसके पास सरकारी कागज है, उसकी खरीद से होनेवाली आय कर-मुक्त है
फिर भी यह दृश्य कम-से-कम इस समय बिकाऊ नहीं है
इससे अधिक कुछ जानना हो तो
ईश्वर जिसके नाम पर दंगे हुए थे वह या
खुद यह पेंटिंग ही आपकी कुछ मदद करे तो करे
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