मेरी खामोशी और मेरा असूयापन!
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यकीन मानें मेरा
जब आप मेरा मर्सिया पढ़ रहे होंगे
मैं कुछ नहीं बोलूंगा
यकीन मानें मेरा
जब आप मेरा मर्सिया पढ़ रहे होंगे
मैं कुछ नहीं सुन रहा होउंगा
आप जानते हैं और
कवि ने भी पहले ही कहा है
मुर्दा कुछ नहीं बोलता
मुर्दा कुछ नहीं सुनता है
कुछ नहीं बोलना
कुछ नहीं सुनना
मरे हुए की खास पहचान है
यकीन मानें मेरा
मैं कुछ नहीं बोलूंगा उस वक्त
मैं कुछ नहीं सुनूंगा उस वक्त
यकीन मानें मेरा
वैसे इस वक्त भी मैं
कहाँ कुछ बोलता हूँ !
वैसे इस वक्त भी मैं
कहाँ कुछ सुनता हूँ!
मैं बिना कुछ बोले
बिना कुछ सुने
जीने की जुगत में लगा रहता हूँ!
मेरा मर्सिया पढ़ रहे हों तो
ईश्वर से मेरी माफी की प्रार्थना करें
मेरा ईश्वर क्रोध में है
ईश्वर जिसने मुझ को कान दिया
ईश्वर जिसने मुझ को जुबान दिया
मेरे जीने की इस जुगत पर
मेरा ईश्वर क्रोध में है
फिर भी आप
जब आप मेरा मर्सिया पढ़ रहे हों
मेरी माफी के लिए प्रार्थना करना
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