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पिता का आखिरी दौर!
शुरू होती है पुत्रों के बीच खींचतान
पिता की खाली जगह भरने की होड़।
पिता की जगह जब सिकुड़ने लगती है
पुत्र उस जगह को भरने के लिए बेताब होता है!
इस तरह शुरू होता है वंश युद्ध!
प्रकट होते हैं शकुनि कृष्ण और भी सारे
होती है चर्चा नीति न्याय की और भी बहुत कुछ
मगर वंश युद्ध होता ही है,
विनाश के पहले रुकता नहीं है वंश युद्ध
ऐसे ही हुआ था महाभारत
उदाहरण इतिहास के भी पन्नों पर हैं!
पिता अंधत्व का शिकार होता है
होता ही है अंधत्व का शिकार
होता ही है वंश युद्ध!
छोटा-बड़ा जैसा भी हो
मगर होता है अनवरत वंश युद्ध!
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