आखिर ऐसे में क्या तो किया जाये

आखिर ऐसे में क्या तो  किया जाये


उठाऊँ जो सर तो छत उजड़ जाये

झुकाऊँ ननजर जमी बिगड़ जाये


जाना तय, इस या उस पहर जाये

रास्ता नहीं, क्या करे कहाँ जाये


आग बाजार में रसोई ठंढा जाये

हालात  कि खाये तो क्या खाये


किस  बात पे  मुकाबला हो जाये

जीत भी हार भी जब एक हो जाये


वक्त जाने किस को  कहाँ ले जाये

क्या पता कब कदम उठाया जाये


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