साथ से नहीं, सेल्फी से परफूल!

साथ से नहीं,
सेल्फी से परफूल!
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सुबह-सुबह पास-पास
तुहिन-कणों से लदे-फदे
खिले-खिले दो फूल!
मैं ने पूछा फूलों से
सुबह-सुबह!
इतने खिले-खिले कैसे!
फूल ने कहा,
सच फूल ने कहा!
- देखते नहीं परफूल!
हम दोनों हैं!
कितने पास-पास हैं!
साथ-साथ हैं!
मैं ने कहा,
- चल पगले!
हो जाये
तुम दोनों के साथ
मेरी भी एक सेल्फी!
फूल ने कहा -
चल ठीक है!
तू भी खिल जा!
आजकल
आदमी का मन!
साथ से नहीं
सेल्फी से खिलता है!

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