इतिहास और आश की संयुति
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सीमस हीने (Seamus Heaney) की इन स्फूर्तिदायी पंक्तियों में पीड़ित जनसमुदाय को अपनी वाणी की अनुगूंज अवश्य सुनाई दे सकती है:
इतिहास का कहना है,
कब्र के इस तरफ (रह कर) कोई आशा मत करो,
किन्तु जीवन काल में एक बार तो
न्याय की मनोवांछित लहर
उठ भी सकती है।
यही आशा और इतिहास की संयुति होगी।
(साभार : अमर्त्य सेन : न्याय का स्वरूप)
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