मैं आप से बात करना चाहता हूँ
मैं आप से बात करना चाहता हूँ
जानता हूँ, फिलहाल वक्त नहीं है आपके पास
इसलिए बात करना तो बहुत ही मुश्किल है इन दिनों
मुश्किल है बात करना इसलिए बता भर देना चाहता हूँ
मेरे मन में भयानक सिकोड़ हो रहा है
इस सिकोड़ का रिश्ता मेरे इलाके में
रह रह कर पेट में उठनेवाले ममोड़ से कितना और कैसा है
कह नहीं सकता लेकिन, मेरे मन में भयानक सिकोड़ हो रहा है
इंटरनेशनल या ग्लोबल या ऐसे ही किसी विस्तार से
डर लगने लगा है मन, मन बहुत डर लगने लगा है
न याद करूँ झारखंड को, तो गुनाह है मकम्मल* --
फिलवक्त क्या कहूँ, हूँ बंगाल, पश्चिम बंगाल में हूँ
जी हाँ, आराम से ही हूँ, जी आराम से हूँ फिलवक्त
जानता हूँ इतना ही नहीं है भारत,
मन णणिपुर हुआ जा रहा है।*
मेरा मन तो अब मिथिला तक सिमटकर रह जा रहा है
बहुत जोर मारकर भी बस बचे हुए बिहार तक पहुँच पा रहा है
उससे आगे नहीं जा पा रहा है, बहुत पुचकारने के बावजूद
इसे कविता न समझें, आप के पास बेहतरीन कविताएं हैं
इसे बस एक गृहस्थ की हताशा और अनास्था समझ लें
जानता हूँ, आप के पास आशा और आस्था के बेहतरीन काऱण हैं
जानता हूँ, बेहतरीन काऱण हैं कि फिलहाल वक्त नहीं है आपके पास
मेरे मन में भयानक सिकोड़ हो रहा है
बहुत ही भयानक होता है मन का सिकोड़
और दर्दनाक भी इस पर बात करना
न बताना बहुत ही खतरनाक, इसलिए बता रहा हूँ
मेरे मन में भयानक सिकोड़ हो रहा है।
जानता हूँ इतना ही नहीं है भारत,
मन मणणिपुर हुआ जा रहा है।*
2 टिप्पणियां:
सुनना कौन.चाहता है भला?
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २८ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
जी, जरूर। ाभार।
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