याद नहीं, तो क्यों याद नहीं है
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सवाल है तो यही सवाल कर खुद से
ओ रात दिन आँसू बहाना याद है तो
वो कामिल आजादी क्यों याद नहींसवाल है तो यही
सवाल कर खुद से
मोहान में पैदा
हुए हसरतें कामिल थी
नये-नये ख्वाब
मुकम्मल खैरियत याद है
तो आवाज-ए इन्कलाब
क्यों याद नहीं
वो कामिल आजादी
क्यों याद नहीं
सवाल है तो यही
सवाल कर खुद से
वो दश्त-ए-खुद
फरामोशी के चक्कर याद आते हैं
नहीं आते तो
क्यों नहीं अक्सर याद आते हैं
क्या कहूँ खुद को
अब मन में गरूर इस तरह कि
न दामनों की खबर
है न गिरेबानों की
सवाल है तो यही
सवाल कर खुद से
वो जो बाँसुरी
रहती थी साथ उनके सदा
वो नगर आशिकी से इसरार
कोई
याद नहीं है तो
क्यों नहीं है
सवाल है तो यही
सवाल कर से खुद से
सवाल कि दस्तखत
नहीं वहाँ तो क्यों नहीं
ओ रात दिन आँसू
बहाना याद है तो
तो फिर हसरत
मोहानी क्यों याद नहीं
ओ रात दिन आँसू
बहाना याद है तो
वो कामिल आजादी
क्यों याद नहीं
(हसरत मोहानी को
याद करते हुए)
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