अबकी हँसता हुआ कबीर


अभी-अभी अस्सी पर प्रगटे, हँसने लगे कबीर
पहली बार देखा लोगों ने, हँसता हुआ कबीर

मेरे साथ नहीं पर जारा तू होकर बहुत अधीर 
देख सलूक करता है, क्या तेरे साथ वचन वीर

हँसते-हँसते प्रेमचंद का पता पूछते दिखे कबीर
पिछली बार कब आये थे! तुलसी संग रघुबीर!

हँसते-हँसते पूछा इन दिनों हैं रहते कहाँ नजीर
पुरखे हैं, प्रगटे हैं तो जायेंगे खेल के फाग अबीर

सकते में भारी, जो अस्सी पर नाचा था दलवीर
जाने कैसा भेस धरेगा अबकी हँसता हुआ कबीर

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