जी, दूनू पानि मारै छी!

मारै छी दूनू पानि। बाँतर नै ई आ नै ओ। मुदा नै त ई अरघैत अछि आ ने ओ! रद दस्त होइत रहत। मंथन हैत की नै, नहिं जानि मुदा मरोर त उठिये गेल अछि।
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आरणीय गोविंद झा हमर एक टा मैथिली पोस्ट पर कहलैन :
'अपन बाड़ीक पटुओ मीठ लगै छै। बहुत कें दूरैक ढोल सोाओन नगैछनि। हमरा जनैत अहाँ दूनू पानि मरैछी।'
हम कहलियेन :

'सत गप... मुदा किये... !'

एहि मुदा किये  क की जवाब भ सकैत छै! जवाब नै भ सकैत छै वा बहुत चलताऊ ढंग स किछ कहि देल जा सकैत छै जवाब ज नहियो होई तो लेस जरूर द सकैत छै। एहि मुदा किये  क जवाब गहन सामाजिक मंथन क माँग करैत छै। ई हम गहन सामाजिक मंथन लेल तैयार छी! मिथिला मैथिली पर गप कर लेल जे उत्सुक वा उताहुल छैथ हुनका व्यक्तिगत स्तर पर आ सामाजिक स्तर पर सेहो अपना स पूछबाक चाही, जे की हम गहन सामाजिक मंथन लेल तैयार छी! तैयार होई वा नै होई, आइ नै त काल्हि ई सामाजिक मंथन शुरू हेबे करतै। हम एहि पर सोचि रह छी, से सूचना मात्र बूझल जाए! सोचबा आ लिखबा मे अंतर छै, तखन देखल जाए!
त्रासद स्थित ई जे, हिंदी मे जखन हम मैथिली, भोजपुरी आदिक मार्यादा कि महत्तव क गप रखैत छी त हिंदी क किछ गोटे हमरा हिंदी लेखक होइतो हिंदी द्रोही मान आ कनफुसकी कर लगैत छैथ। कर्णपिशाची आ कनफसादी स हमरा मे कोनो विचलन आबि जाइत अछि ई गप नै, मुदा घुसपेठिया हेबाक दुख त होिते अछि! मैथिली मे जखन हिंदी क महत्त्व क गप रखैत छी त एलौ पहुनमा लुत्ती लगो सन माहौल बुझना जाइत अछि! स्थिति ई जे गाम मे कलकतिया आ कलकता मे हिंदुस्तानी, ने एम्हरे आ ने ओम्हरे। आहि रे बा कतौ के नै! 'एम्हरे आ ने ओम्हरे' पर एडवर्ड सईद, वी एस नॉयपाल आदि लिखने छैथ। मुदा हुनकर गप्प अपन जगह, ओहि स किछ संकेत त ल सकैत छी, मुदा एहि दर्हुद क होमियोपैथी हुनका सभ लग नै। तांइ हुनकर  सभ क अनुसरण केनाइ उचित नै, शरणागत भेनाइ त कथमपि नै। हमर मुश्किल ई जे मारै छी दूनू पानि। बाँतर नै ई आ नै ओ। मुदा नै त ई अरघैत अछि आ ने ओ! रद दस्त होइत रहत। मंथन हैत की नै, नहिं जानि मुदा मरोर त उठिये गेल अछि।


बैरी हमारी नादानी हुजूर

 बैरी हमारी नादानी हुजूर
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अब हैरान क्या देखते हैं, पानी हुजूर
जब बचा ही नहीं कहीं, पानी हुजूर
बाढ़ है या है ये कोई करिश्मा हुजूर
कब जो उठ जाये दाना-पानी हुजूर
नहीं सिर्फ आपकी कारस्तानी हुजूर
कायम न हो सकी निगहबानी हुजूर
दरिया नहीं, बैरी हमारी नादानी हुजूर
अब हैरान क्या देखते हैं, पानी हुजूर