चीख ➖
ऐतिहासिक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है!
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मैं ने चीख सुनी करुण और क्रूर
मैं भीतर तक हिल गया
कुछ करना चाहिए!
फ्रीज से ठंढा पानी निकाल लाया
शुद्ध ठंढा सीलबंद पानी
पानी की तासीर
या कि शुद्ध ठंढा सीलबंद होने का
मैं ने सोचा कि क्या कर सकता हूँ!
यह दुनिया की पहली चीख नहीं है
यह चीख आखिरी भी नहीं है!
न मैं पहला आदमी हूँ, न आखिरी
जिसने सुनी हो चीख!
तो चीख फिर क्या है, मैं ने सोचा
यह जानते हुए भी कि
सोचना न हक है न मुनासिब
मैं ने सोचा आदतन कि
चीख ➖
ऐतिहासिक द्वंद्वात्मक प्रक्रिया है!
चीख पर बहुत अच्छी कविता
लिखी जा सकती है
ढेर सारी
बधाई और
तारीफ बटोरी जा सकती है!
शुद्ध ठंढा सीलबंद पानी
पानी की तासीर और चीख!
यह शीर्षक कैसा रहेगा!
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