यों दान तो देता है दिल खोलकर बहुत

यों तो अलग रहने के कायदे थे बहुत

ये आलमी जंग तो उनमें शुमार न था

यों पहले बीमारियाँ थी जहां में बहुत

हां तुम्हारा नाम तो उनमें शुमार न था

यों तो जुर्म थे पहले दर्ज खाते में बहुत उन में तेरी करतूत का तो शुमार न था

यों परिंदों पर तो पाबंदी नहीं थी बहुत जमीन पर कोई इंसानी किरदार न था


रोजी रोटी में कोताही थी पहले ही बहुत 

सांसों और ख्वाहिशों का पहरेदार न था


जिंदगी में खुशी और गम के रंग थे बहुत 

हालांकि मरने से तो कभी इन्कार न था

यों तो कशिश थी तेरी अदाओं में बहुत नाक के नीचे अगरचे कोई इसरार न था

पिछले चुनावों में फूल तो बिके थे बहुत हालांकि दिल अवाम का गुलज़ार न था

यों दान तो देता है दिल खोलकर बहुत कह रहा कोई वह शख्स देनदार न था







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