सोने पर सोहाग

मेरे मन में जिज्ञासा रही है। थे ढेर सारे धनवान। सुदामा गये सिर्फ कृष्ण के पास! क्या इसलिए कि छात्र जीवन के मित्र थे! यह पर्याप्त नहीं लगता। इसे आध्यात्मिक दृष्टि से देखना चाहिए। बाकी सभी धनवान उन्हें सोना तो दे सकते होंगे। सौभाग्य सिर्फ कृष्ण दे सकते हैं। कृष्ण से सोना और सौभाग्य दोनों मिला। सौभाग्य ही सोहाग या सोहागा के रूप में लोक प्रचलित हुआ। सोने पर सोहागा लोकोक्ति यहीं से निकली और आज तक प्रचलित है। बिना सौभाग्य के सोना शुभ नहीं। सोना मिलने के कई स्रोत हो सकते हैं, सौभाग्य का स्रोत एक ही होता है और वह स्रोत ईश्वर होता है। ध्यान में रखना जरूरी है कि ईश्वर के कई रूप होते हैं। इसी कारण हिंदू लोकमानस सदैव बहुदेववादी रहा है। कथाऔर भी है किंतु अभी इतना ही। शेष फिर कभी।
आप का दिन शुभ हो। 
सादर 

कोई टिप्पणी नहीं: