बोलना, लिखना और पढ़ना

 बोलना और लिखना———बोलना और लिखना मनुष्य की बड़ी ताकत है। समझना भी। भवानी प्रसाद मिश्र का आग्रह और एक तरह से उनकी काव्य चुनौती होती थी, जिस तरह बोलता है उस तरह लिख। आदमी जिस तरह बोलता है, उस तरह लिखना कठिन है और उस तरह दिखना तो और भी कठिन है —लगभग नामुमकिन।तुलना कठिन है, फिर भी समझने के लिए —बोलना नाटक खेलने की तरह है। लिखना फिल्म की तरह। बोले का संपादन (या सुधार) नहीं हो सकता है। लिखे का (छपे का नहीं)  संपादन नहीं हो सकता है। हिंदी के एक प्रसिद्ध और आदरणीय प्रोफेसर और उससे भी अधिक प्रभावी लेखक, जो बोलने के लिए भी प्रसिद्ध थे कहा करते थे लिखने से हाथ कट जाता है, बोलने से जुबान नहीं कटती है।अब संपादक और संपादन (खुद को सुधार) का काम बचा नहीं। रही-सही कसर सोशल मीडिया की तकनीकी सुविधा ने निकाल दी। अपवाद को छोड़ दें तो, पहले के लेखक अपने लिखे को बार-बार सुधारते थे, अगला काम संपादक करता था। अब स्थिति यह है कि न खुद से सुधार का अवसर है, न संपादन की कोई गुंजाइश! कहाँ वे दिन जब संपादकों को भी संपादक की जरूरत होती थी, कहाँ आज का समय!भाषा का नैसर्गिक रूप बोलना है। लिखना साभ्यतिक रूप है। बोलना नैसर्गिक कला है और लिखना साभ्यतिक कला — पढ़ना भी कला है। तीनों भिन्न कलाएँ हैं। बोलने की शैली में लिखने से बहुत सारी बातें गडमड हो जाती है, बेतरतीब और अस्त-व्यस्त। महत्वपूर्ण विचार की भाषिक अस्त-व्यस्तता वैचारिक अराजकता में बदल जाती है। मेरे जैसा पाठक वैसे ही व्यस्त कम और अस्त-व्यस्त अधिक रहा करता है। फिर भी, ऐसे पाठ को निरा देने के बदले, संपादन और वैचारिक अराजकताओं से खुद को मुक्त करने की जवाबदेही भी पाठक को खुद ही उठानी होगी।प्रसंगवश, तकनीकी सुविधाओं का भरपूर लाभ अन्य कला क्षेत्र, फिल्म, संगीत, चित्रांकन, विज्ञापन आदि के संपादन कार्य में उठाया जा रहा है। तकनीकी सुविधाओं की बढ़त का लाभ लेखन को भी कैसे मिले इस पर सोचना चाहिए। कौन सोचेगा! लेखक और लेखक बनने की कोशिश में लगे लोग ही सोच सकते हैं।

10 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

तथ्यपूर्ण, वर्तमान परिदृश्य पर सटीक लेखन।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ जून २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

yashoda Agrawal ने कहा…

व्वाहहहहहहह
सटीक आलेख
आभार..
सादर

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सामयिक चिन्तन

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

विचारणीय

शुभा ने कहा…

वाह! एकदम सटीक ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक |

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद