अभी
क्या बात करूंगा!
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अभी क्या मैं बात करूंगा!
अभी क्या तुम बात करोगे?
बात करेंगे न, उस दिन ––
जिस दिन धरती पर चलने का शऊर आ जायेगा
जिस दिन आँखें फिर से नम होंगी
किसी बेगुनाह के मारने, धमकाने, लूट लिये जाने पर
जिस दिन गला सूखेगा किसी अनजाने के मार दिये जाने पर
नहीं पूरा तो थोड़ी-सी भी आँखें झुकेंगी शर्म से
अपनी आपराधिक खामोशी से बाहर निकल आने की
जिस दिन हल्की-सी भी कोशिश दिखेगी या दिखेगी बेकसी
अपने रुआब के बोझ से होगा अंत:करण होगा जिस दिन
मेरा हो या हो तुम्हारा मन अपने जिंदा होने का देगा सबूत
हाँ, हाँ बात करेंगे न उस दिन, चाय की गर्म चुस्कियों के साथ
अभी क्या मैं बात करूंगा
अभी क्या तुम बात करोगे
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