स्याही को कहना रोशनाई!
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हमने बचपन से जाना कि
स्याही को कहना है रोशनाई
मैंने हमेशा स्याही को
रोशनाई ही कहा!
मेरा मन जब भी रोशनी के लिए
छटपटाया
स्याही का इस्तेमाल किया
पूरे आत्मविश्वास के साथ कि
स्याही के सहारे मिल ही
जायेगी रोशनी
शक की कोई गुंजाइश नहीं थी
ऐसा नहीं कि कभी मिली ही
नहीं रोशनी
झूठ नहीं कहूंगा, मिली
रोशनी
इधर पता नहीं क्या हुआ कि
स्याही के बरास्ते रोशनी का
आना कम होता गया
किसी ने कान में कहा अरे
भलेमानुष ¾
स्याही तो होती है काली और
रोशनी उजली!
मैं अवाक हूँ!
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