प्रफुल्ल कोलख्यान Prafulla Kolkhyan
पाँव की थकान से रास्ता और लंबा हो जाता है
थके हुए यात्री पड़ाव को ही मंजिल बताने में व्यस्त हैं
थके हुए यात्री चलने की सार्थकता से त्रस्त हैं
मंजिल एक छलावा है ऐसा थके हुए यात्री का दावा है
थके हुए यात्री भजन-भाव की मुद्रा में खर्राटे भरते हैं
थके हुए यात्री बच्चों से डरते हैं
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