श्वेत सदन में जमकर जिम रहे थे स्वयं श्री भगवान

उत श्वेत सदन में जमकर जिम रहे थे स्वयं श्री भगवान
इत एक-एक दाना के लिए तरस रहे हैं किसान
इत-उत डोल रहे पुरोहित करते हुए बड़े बखान
मुहँ बिधुआ कर फिर भी मुरझाया रहा  जजमान
चोर लुटेरों से पटा हुआ है ये धरती और आसमान
दौड़ रहा ऊमंग में गली-गली स्वच्छता अभियान
लोक अकिंचन तंत्र तो सचमुच है बहुत महान
कामकाज का नहीं ठिकाना कोई नहीं निदान
सूरज तो उग कर डूब जाता आता नहीं बिहान
श्वेत सदन में जमकर जिम रहे थे स्वयं श्री भगवान

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